इन्सान को चाहिए कि वह इन्सानियत को जाने पहचाने और माने । इन्सानियत सिखाने के लिए ही अल्लाह पाक ने पाक पैग़म्बर भेजे। उन्होंने लागों की गालियां और पत्थर खाए लेकिन सच का रास्ता उनके सामने अयां करते रहे आखि़कार किसी नबी को लोगों ने क़त्ल कर दिया और बहुतों को झुठला दिया । मानने वाले भी इस दुनिया से चले गए और उन्हें झुठलाने वाले भी।
जब हरेक इन्सान को मरना ही है तो दुनिया में दुनिया के लिए झगड़ना क्यों ?
आपका यह लेख स्पष्ट है साधुवाद स्वीकारें ! काश हम लोग अपनी मान्यताओं को प्यार करने के साथ साथ दूसरों की मान्यताओं का भी आदर करना सीख जाएँ तो यह संसार कितना खूबसूरत हो जाए !
ReplyDeleteनफ़रत फैलानें वालों को प्यार करना सिखा पायें तो लेखन सफल हो जाए !
सादर
होमिओपैथी में इस बच्ची का इलाज़ संभव है , अनवर भाई को इस समय सही सलाह मशवरा मिलता रहे तो उम्मीद है इस बच्ची का भला हो जाएगा ! इस युग में शायद भले लोगों को ही कष्ट अधिक भोगने पड़ते हैं !
ReplyDeleteआपकी सलाह अनवर साहब तक पहुँचा दी गई है शुक्रिया
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