Monday, February 20, 2017

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Nil sperm ke treatment ke liye 
ALHAKEEM DAWAKHANA, DEOBAND, U.P., INDIA
kuchh bahut powerful herbs (jadi butiyan) hain. jinhe milakar khane se sperm zyada ho jate hain.
agar kisi ke andar sperms bilkul ZERO hon tab bhi woh banne lagte hain.
un herbs me se aaj ek ke baare me hum aapko yahan bata rahe hain.
अश्व गंधा के कच्चे मूल से अश्व के समान गंध आती है इसलिए इसका नाम अश्वगंधा रखा गया। अश्वगंधा, कहने को तो एक जंगली पौधा है किंतु औषधीय गुणों से भरपूर है। इसे आयुर्वेद में विशेष महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है अश्व अर्थात् घोड़ा, गंध अर्थात् बू अर्थात् घोड़े जैसी गंध।इसे असगंध बराहकर्णी, आसंघ आदि नामों से भी जाना जाता है। अंग्रेजी में इसे बिटर चेरी कहते हैं। यह सारे भारत में पाया जाता है, पर पश्चिम मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले तथा नागौर (राजस्थान) की अश्वगंधा प्रसिद्ध व गुणकारी है। यह मेधावर्धक, धातुवर्धक, स्मृतिवर्धक, और कामोद्दीपक है। यह बुढ़ापे को दूर करने वाली औषधि है।
यह मेधावर्धक, धातुवर्धक, स्मृतिवर्धक, और कामोद्दीपक है। यह बुढ़ापे को दूर करने वाली औषधि है।
  • रस (taste on tongue): कषाय, तिक्त
  • गुण (Pharmacological Action): लघु
  • वीर्य (Potency): उष्ण
  • विपाक (transformed state after digestion): मधुर
  • कर्म: रसायन, वात-कफ कम करने वाली (कम मात्रा में लेने पर), बल्य, वाजीकारक, वीर्य वर्धक।
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अश्वगंधा चूर्ण के सेवन से फायदे Benefits of Ashwagandha Churna in Hindi

  • अश्वगंधा का सेवन शरीर में शक्ति और ऊर्जा का संचार करता है। इसका प्रयोग मज्जा और वीर्य को मजबूत बनाता है।
  • यह एक प्रतिरक्षा बढ़ाने immune-boosting और मस्तिष्क-टॉनिक brain tonic है।
  • यह उत्तम रसायन, कामोद्दीपक aphrodisiac और फर्टिलिटी बढ़ाने वाली हर्ब है।
  • यह अवसाद दूर करने वाली शामक, और टॉनिक antidepressant, sedative, and tonic है।
  • यह वजन बढ़ाती है और प्रतिरक्षा में increases weight and improves immunity सुधार करती है।
  • यह तंत्रिका कमजोरी nervous weakness, बेहोशी fainting, चक्कर giddiness और अनिद्रा insomnia में मदद करता है।
  • पुरुषों में इसे निर्बलता, वीर्यक्षीणता, नपुंसकता, स्नानुदुर्बलता, इन्द्रिय शिथालता, और एक सेक्स टॉनिक के रूप में ३-६ ग्राम की मात्रा में खाया जाता है।
  • महिलाओं में इसका सेवन शरीर को ताकत देने के लिए, सुन्दरता बढ़ाने के लिए और प्रसव के बाद दूधवृद्धि के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • यह बच्चों में सूखा रोग के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • कम्पवात या पार्किन्सन में अश्वगंधा जड़ के पाउडर को ३-६ ग्राम की मात्रा में लिया जाता है।

अश्वगंधा चूर्ण के औषधीय प्रयोग Medicinal Use of Ashwagandha

अश्वगंधा का प्रयोग सामान्य दुर्बलता general debility, तंत्रिकाओं में थकावट nerve exhaustion,दर्द pain, बुजुर्गों की समस्याओं senility, यौन दुर्बलता sexual weakness, दुर्बलता debility, स्मृति हानि memory loss, मांसपेशियों की कमजोरी muscles weakness, ऊर्जा की कमी low energy, अनिद्रा insomnia, पक्षाघात paralysis, कमजोर आंखों, गठिया gout, त्वचा वेदनाओं, खांसी, सांस लेने में मुश्किल, एनीमिया anemia, थकान lethargy, बांझपन infertility, ग्रंथियों में सूजन, प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्याओं, धातु दुर्बलता आदि में प्रयोग किया जाता है।
  • बल, वीर्य वर्धक, शारीरिक दुर्बलता Improving general health
  • अश्वगंधा की जड़ का चूर्ण, ५ ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करें।
  • वात विकार (आमवात, गठिया, गैस, रेयुमेटीज्म आदि) pain in joints
  • अश्वगंधा (२ भाग) + सोंठ (१ भाग) + मिश्री (३ भाग) मिलाकर रख लें और सुबह-शाम खाने के बाद गर्म पानी के साथ लें।
  • नींद न आना Insomina
  • असगंध का क्षीर-पाक बना कर सेवन करें। क्षीर-पाक विधि में औषधि को दूध में पकाकर प्रयोग किया जाता है।
  • असगंध का ५-१० ग्राम पाउडर, पानी (२५० ग्राम) और दूघ (२५० ग्राम) में धीमी आंच पर पकाएं। जब पानी उड़ जाए तो छान कर पियें।
  • बच्चों का सूखा रोग
  • करीब २५० mg अश्वगंधा चूर्ण, घिसी हुई बादाम गिरी को दूध में मिलाकर दें।
  • कमजोरी, दुर्बलता, कम वज़न Underweight
  • ३-६ ग्राम अश्वगंधा चूर्ण + मिश्री, दूध में मिलाकर पियें।
  • १०० ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को २० ग्राम घी में मिलकर रख लें और ३ ग्राम की मात्रा में लें।
  • सफ़ेद पानी
  • २ ग्राम अश्वगंधा चूर्ण + १/२ ग्राम वंशलोचन के साथ मिलाकर सेवन करें।
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Sunday, September 5, 2010

अगर आप ‘वन्दे ईश्वरम‘ पढ़ने के ख्वाहिशमंद हैं तो ...

‘वन्दे ईश्वरम‘ का नाम तो आपने सुना ही होगा और हो सकता है कि आपने उसे देखा भी हो। धर्म के आधार पर फैली ग़लतफ़हमियों को मिटा कर आपसी सद्भाव बढ़ाने के मक़सद से इसका प्रकाशन किया जा रहा है। इसका नया अंक छपकर प्रेस से आ गया है। जो लोग इसे पढ़ने के मुतमन्नी हों वे लोग अपने पोस्टल एड्रेस मेरे ब्लॉग पर लिखने की मेहरबानी करें ताकि पत्रिका उन्हें भेजी जा सके।

धन्यवाद

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चन्द लाइनें भाई साहब डा. अनवर जमाल के नाम

आपकी तहरीर अच्छी लगी, पिछले काफ़ी दिनों रमज़ान और पत्रिका की तैयारी की वजह से नेट पर किसी ब्लाग पर कमेंट न कर सका। आप अच्छा लिखते हैं लेकिन कभी-कभी उकसाने वालों के फेर में पड़कर भड़क जाते हैं। अपनी बात कहना अच्छा है लेकिन भड़क उठना बात के वज़न को कम कर देता है। आपका आज का लेख पसंद आया। अल्लाह आपको कामयाबी दे। आमीन पत्रिका में इस बार तक़रीबन सभी लेख ब्लॉग्स से लिये गये हैं और आपकी बेटी अनम को मरकज़ में रखते हुए पूरा अंक ‘भ्रूण रक्षा विशेषांक‘ ही निकाला गया है।

Tuesday, June 1, 2010

झगड़ना क्यों ?

इन्सान को चाहिए कि वह इन्सानियत को जाने पहचाने और माने । इन्सानियत सिखाने के लिए ही अल्लाह पाक ने पाक पैग़म्बर भेजे। उन्होंने लागों की गालियां और पत्थर खाए लेकिन सच का रास्ता उनके सामने अयां करते रहे आखि़कार किसी नबी को लोगों ने क़त्ल कर दिया और बहुतों को झुठला दिया । मानने वाले भी इस दुनिया से चले गए और उन्हें झुठलाने वाले भी। जब हरेक इन्सान को मरना ही है तो दुनिया में दुनिया के लिए झगड़ना क्यों ?

Tuesday, March 2, 2010

क्या कहेंगे अब अल्लाह मुहम्मद का नाम अल्लोपनिशद में न मानने वाले ?


मुसलमानों के धर्म में कोई सच्चाई नहीं है । हिन्दू राश्ट्र की स्थापना के लिए इसलाम का उन्मूलन आवष्यक है । इनका सफ़ाया ज़रूरी है ।इस तरह की भ्रामक बातों से फैली नफ़रत की दीवारें ढहाने के लिए अकेला अल्लोपनिशद ही काफ़ी है । लेकिन नफ़रत की दीवारें खड़ी करने वाले जब अपनी मेहनत बर्बाद होते हुए देखते हैं तो व्यथित और व्याकुल हो उठते हैं ।आदरणीय वेद व्यथित जी
आपने वैदिक सम्पत्ति पढ़ने की सलाह दी है । आप उसे उपलब्ध करा दीजिये मैं उसे पढ़ लूंगा। लेकिन क्या आप मैक्समूलर व अन्य वेदविदों का साहित्य पढ़कर मान लेंगे कि वेद ईष्वरीय वचन नहीं हैं और न ही इनकी रचना लगभग एक अरब सत्तानवे करोड़ साल पहले हुई है । आप सूरज चांद तारों पर भी वैदिक लोगों का होना मानते हो । क्या आप आधुनिक वैज्ञानिकों के कथन को स्वीकार करते हुए दयानन्द जी की मान्यता को ग़लत स्वीकार कर लेंगे ? वैदिक सम्पत्ति के लेखक के गुरू का वेदार्थ ही हमारी समझ से बाहर है । आपके पधारने से हमें अपनी जिज्ञासा “ाांत करने का दुलर््ाभ योग मिला है । सो आप से पूछता हूं -
गुदा से सांप ले जाना
‘ हे मनुश्यो , तुम मांगने से पुश्टि करने वाले को स्थूल गुदा इंद्रियों के साथ वर्तमान अंधे संापों को गुदा इंद्रियों के साथ वर्तमान विषेश कुटिल सर्पांे को आंतों से , जलों को नाभि के भाग से , अण्डकोश को आंड़ों से , घोड़ों को लिंग और वीर्य से , संतान को पित्त से , भोजनों को पेट के अंगों को गुदा इंद्रिय से और “ाक्तियों से षिखावटों को निरन्तर लेओ । ’{ यजुर्वेद 25 ः 7 , दयानन्द भाश्य पृश्ठ 876 }
इस मन्त्र का क्या अर्थ समझ में आता है?
ये कौन सा विज्ञान है जिसपर मनुश्य की उन्नति टिकी हुई है ।
ऐसी बातों को देखकर ही पष्चिमी वेदिक स्कॉलर्स ने वेदों को गडरियों के गीत समझ लिया तो क्या ताज्जुब है ?
हो सकता है इसका कुछ और अच्छा सा अर्थ हो जो दयानन्द जी को न सूझा हो लेकिन वैदिक सम्पत्ति आदि किसी अन्य साहित्य में दिया गया हो । यदि आपकी नज़र में हो तो हमारी जिज्ञासा अवष्य “ाांत करें । और अगर कोई भी इसका सही अर्थ और इस्तेमाल न जानता हो तब भी कोई बात नहीं । इसके बावजूद हम वेदों का आदर करते रहेंगे । करोड़ों साल पुरानी किसी किताब की सारी बातें समझ में आना मुमकिन भी नहीं है। इसकी कुछ बातें तो समझ में आ रही हैं , ये भी कुछ कम नहीं है ।
बहरहाल किसी के न मानने से अल्लोपनिशद सबके लिए असत्य और अमान्य नहीं ठहरता । जो लोग उसमें आस्था रखते हैं उनके लिए तो वह प्रमाण माना ही जाएगा । हिन्दू भाइयों में कोई किसी एक ग्रन्थ को मानता है और कोई किसी दूसरे ग्रन्थ को । आपको वेदों में आस्था है तो आप वेद संबंंधी प्रमाण देख लीजिये।
श्री सौरभ आत्रेय जी ने भी पुराणों को लेकर यही आपत्ति की थी । उनसे भी हमने यही विनती की थी । आप समेत आपत्ति करने वाले सभी ब्लॉगर भाइयों के लिए अपने “ाीघ्र प्रकाष्य उस लेख का एक अंष पेष है -वैदिक साहित्य में अल्लाह के रसूल हज़रत मुहम्मद साहब सल्ल. का वर्णनआपत्ति- इसके साथ-2 मुहम्मद साहब को हिन्दू धर्मग्रन्थों के अनुसार अंतिम अवतार घोशित करने लगे ताकि हिन्दू भी उनके छलावों में आकर उनके असत्य को सत्य मान ले । ये लोग हिन्दू धर्म ग्रन्थों में से कुछ “ाब्द और वक्तव्य ऐसे निकालते हैं जैसे ’मकान’ और ’दुकान’ में से कान “ाब्द निकाल कर उसकी व्याख्या करने लगे ।निराकरण- हिन्दू धर्म ग्रन्थों में पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद का नाम ही नहीं बल्कि अल्लाह का नाम भी साफ़ साफ़ लिखा हुआ है । ऐसे में “ाब्दों को तोड़ मरोड़ कर हिन्दुओं को छलने की हमें क्या ज़रुरत है ?
अल्लो ज्येश्ठं श्रेश्ठं परमं पूर्ण ब्रहमाणं अल्लाम् ।। 2 ।।
अल्लो रसूल महामद रकबरस्य अल्लो अल्लाम् ।। 3 ।।
अर्थात ’’ अल्लाह सबसे बड़ा , सबसे बेहतर , सबसे ज़्यादा पूर्ण और सबसे ज़्यादा पवित्र है । मुहम्मद अल्लाह के श्रेश्ठतर रसूल हैं । अल्लाह आदि अन्त और सारे संसार का पालनहार है । (अल्लोपनिशद 2,3)
आपत्ति- क्या इसलाम के जन्म से पहले कोई ऐसा विद्वान नहीं हुआ जो वैदिक पुस्तकों के इस मंतव्य को समझ सका कि अहमद या मोहम्मद नाम का अवतार होगा ?
निराकरण- असल सवाल पहले या बाद का नहीं है बल्कि मंतव्य समझने का है। ऐसे लोग हमेषा रहे हैं और आज भी हैं। डा. वेदप्रकाष उपाध्याय, डा. एम.ए. श्रीवास्तव, डा. गजेन्द्र कुमार पण्डा, श्री आचार्य राजेन्द्र प्रसाद मिश्र, श्री दुर्गाषंकर महिमवत सत्यार्थी और गुजरात के महान वेद भाश्यकार श्री आचार्य विश्णु देव पण्डित जी ऐसे ही प्रबुद्ध और ईमानदार विद्वान हैं। प्रथम दो विद्वानोंं द्वारा इस विशय पर लिखित पुस्तकें वदसपदम उपलब्ध हैं। देखें- antimawtar.blospot.comआपात्ति- हाल तो हमारी किसी भी मान्य प्रमाणिक पुस्तक में अवतारवाद को ही मान्यता ही नहीं है।निराकरण- आप पुराणों को झूठ का पुलिन्दा बताते हैं, फिर जब आपकी मान्य पुस्तकों में पुराण “ाामिल ही नहीं हैं तो आपको अवतारवाद का जि़्ाक्र मिलेगा कैसे ? आपकी मान्य धर्मपुस्तकों की सूची बहुसंख्यक परम्परावादी हिन्दुओं से अलग है । आप वेदों के अर्थ भी प्राचीन भाश्यों के विपरीत करते हैंे।
आपत्ति- और जिस भविश्य पुराण कि ये व्याख्या करते फिरते हैं वो वैसे भी कोई हिन्दुओं की प्रमाणिक पुस्तक नहीं है तो उसमें या अन्य पुराणों का उदाहरण देना ही ग़लत है।
निराकरण - पुराण होने के कारण भविश्य पुराण दयानन्द जी को चाहे मान्य न हों परन्तु बहुसंख्यक सनातनी हिन्दू संस्थाएं इसे सदा से प्रकाषित करती आ रही हैं। “ाान्ति कुन्ज हरिद्वार के संस्थापक श्रीराम आचार्य जी द्वारा अनूदित भविश्य पुराण आज भी सुलभ है। अतः उससे प्रमाण देना ग़लत नहीं कहा जा सकता।
आपत्ति - किन्तु मुझे इतना आभास भी है कि इन पुराणों में भी ऐसा नहीं लिखा।
निराकरण - आभास से काम चलाने की ज़रूरत नहीं है। न तो स्वयं भ्रम के षिकार बनिये और न ही भ्रम की धुंध से दूसरों की बुद्धि ढकने की कोषिष कीजिये। हाथ कंगन को आरसी क्या ? भविश्य पुराण खोलकर डा. वेद प्रकाष उपाध्याय जी की पुस्तकों के हवालों का मिलान कर लीजिये। अल्लोपनिशद की तरह उसमें भी सब कुछ स्पश्ट है । इतने स्पश्ट प्रमाण देखने के बाद आप यह नहीं कह सकते कि हज़रत मुहम्मद साहब स. का नाम वैदिक साहित्य में कहीं भी नहींंं पाया जाता । अलबत्ता अपने इनकार पर डटे रहने के लिए अब आपके सामने इन महान ग्रन्थों को ही झुठलाने के अलावा कोई उपाय नहीं बचता । इसके बावजूद भी आप न तो लोगों की आंखों में धूल झोंक सकते हैं और न ही सत्य को झुठला सकते हैं क्योंकि हज़रत मुहम्मद साहब स. का वर्णन तो वेदों में भी है जिनको आप असन्दिग्ध रूप से सत्य मानते हैं । देखें- ‘‘ नराषंस और अन्तिम ऋशि ‘‘ लेखक ः डा. वेद प्रकाष उपाध्यायभारत और स्वयं के बेहतर भविश्य के लिए हमें अपने धर्म ग्रन्थों की उन षिक्षाओं को सामने लाना ही होगा जिनसे नफ़रत और दूरियों का ख़ात्मा होता है । भले ही यह बात उन एकाधिकारवादियों को कितनी ही बुरी लगे जो अपना वर्चस्व खोने के डर से लोगों को प्रायः भरमाते रहते हैं ।
डिवाइड एन्ड रूल के दिन अब लदने वाले हैं ‘युनाइट एन्ड रूल‘ के ज़रिये बनेगा अब भारत विष्व गुरू ।आओ मिलकर चलें कल्याण की